डाकू लुटेरे जघन्य हत्यारे पापी पर ब्रह्मा पुत्र देवर्षि नारद के माध्यम से कृपा कर उसे भविष्यदृष्टा बना भगवान के जन्म से पहले ही भगवान का जीवन चरित्र लिख लेने वाला युगों तक पूजनीय वाल्मीकी बनाती है | सरस्वती पुत्रों को असीम प्रेम करने वाली व पुत्रों से असीम श्रद्धा व प्रेम पाने वाली ममतामई करूणामई सर्वप्रिया माता की क्षणभंगुर मतिभृष्ट कर जीवन भर का कलंक जीवन भर का पति, पुत्रों, सगे संबंधियों व प्रजाजनों से तिरस्कार, युगों युगों तक घृणा और अपयश का भागी कैकयी बनाती है। सरस्वती ईश्वर की तपस्या करने वाले राक्षसों के तपफल से भयभीत हुए देवराज की प्रार्थना तथा प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने हेतु भीमकाय राक्षस कुंभकर्ण की जिव्हा पर विराजमान हो इंद्रासन को निंद्रासन बनाती है |
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सरस्वती कैलाश पर्वत को अपने कंधों पर उठाए अभिमानी पर कैलाशपति के पैर के अंगूठे के दबाव से कैलाश के नीचे भुजा दबने पर व्याकुल हो रहे दशानन लंकेश के मुख से शिवताण्डव स्त्रोतम उच्चरित करवाती है। सरस्वती सबको सताने वाले छोटे नटखट सर्वप्रिय बालक कान्हा की बंसरी पर विराजमान हो उसे मुरलीमनोहर बना सर्वप्रिय सर्वश्रेष्ठ बांसुरीवादक बनाती है सरस्वती राजपरिवारों में जन्मे सब प्रकार के राजसी ठाटबाट के बीच पले राजकुमारों को भिक्षुक बना तपस्वी और पूजनीय बना धार्मिक आदर्श और पथप्रदर्शक बुद्ध और तीर्थकर बनाती है सरस्वती गुप्तकाल में जन्मे सामान्य बालक पर कृपा दृष्टि कर उसे गणित और ज्योतिष का सर्वश्रेष्ठ रचनाकार बना आर्यभट के रूप में युगों युगों तक आदर्श बनाती है | सरस्वती वर्षों तक मूर्ख रहने वाले जिस डाल पर बैठे उसी को काटने वाले राजकुमारी विद्योत्तमा को सांकेतिक शास्त्रार्थ से अनजाने ही पराजित कर देने वाले मूढ़ अज्ञानी पर कृपा कर कालपुरूष लेखक कालीदास बनाती है | सरस्वती पनि प्रेम में आकंठ डूबे नदी में तैरते शव और छत से लटके सर्प को संकेतक समझ पत्नि रत्नवाली से चोरी छिपे मिलने ससुराल जाने वाले पत्नि अंध भक्त रामबोला को रामभक्त बना पथ प्रदर्शक, धार्मिक बनाने वाली, उत्साह वर्धन करनेवाली, कठिनाईयों में मार्ग प्रशस्त करने वाली श्रेष्ठ रचना रामचरितमानस का रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास बनाती है सरस्वती जूते बनाने वाले मेहनतकश रैदास द्वारा गंगा में चढ़ाने हेतु भेजी गई राशि के परिणामस्वरूप गंगा से प्राप्त कड़े को मध्यस्थ द्वारा रैदास को अयोग्य मान राजा को दिए जाने पर तथा राजा द्वारा दूसरा कड़ा मांगने पर बात रैदास तक पहुँचन पर रैदास के मुख से मन चंगा तो कठोटी में गंगा कहलवाकर कठोटी में ही दूसरा कड़ा तैराकर उन्हें संत शिरोमणि रविदास बनाकर पूजनीय बनती है सरस्वती। माता पिता के जलसमाधी लेने के उपरांत अपने तप के प्रभाव से चूल्हे के अभाव में अपनी पीठ को भट्टी की तरह तपाने वाले, जन समुदाय द्वारा संदेह करने पर पड़े के मुँह से श्लोक कहलाने वाले, विरोधी के शेर की सवारी करते हुए आने पर दीवार को ही चला देने वाले निवृत्ति, सौपान और मुक्ताबाई के भ्राता को किशोरवय में ही जीवित समाधी लेने वाले श्रेष्ठ ज्ञानी बना संत ज्ञानेश्वर के रूप में विख्यात कराती है सरस्वती बाल्यकाल में पशु पक्षियों के समान स्वरनाद करने वाले तनसुख, तन्ना, रामतनु, त्रिलोचन नामक किशोर को स्वामी हरिदास से वृंदावन में संगीत की शिक्षा दिला अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन बनाकर अनेक रागों की रचना करवाती है सरस्वती बैजनाथ प्रसाद या बैजनाथ मिश्र के नाम से पहचाने जाने वाले युवक को स्वामी हरिदास से वृंदावन में संगीत की शिक्षा दिला तानसेन को भी गायन प्रतियोगिता में पराजित कर देने की क्षमता वाला कलावती नामक कन्या के वियोग में अपने गायन से पत्थर की मूर्ति के भी आँसू निकाल देने वाला अद्वितीय बैजू बावरा बनाती है। सरस्वती विद्यालय से निकाले गए बोलने में कठिनाई अनुभव करने वाले मंदबुद्धि बालक को भौतिकी का सबसे आश्चर्यजनक फार्मूला उब 2 सुझाकर बुद्धिमान आइंस्टाइन बनाकर बुद्धिमानी का पर्याय बनाती है सरस्वती |